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"भारत में नौकरी और बेरोजगारी की सच्चाई: कब मिलेगी मेहनत को मंज़िल?"

 नौकरी और बेरोजगारी: जब मेहनत के बाद भी कुछ हाथ नहीं आता…

कभी आपने ये सोचा है कि हम बचपन से जो पढ़ते हैं – क्लास, स्कूल, कॉलेज, कोचिंग – ये सब क्यों करते हैं? जवाब सीधा है – एक अच्छी नौकरी के लिए। ताकि हम अपने और अपने परिवार का ख्याल रख सकें। लेकिन आजकल का दौर कुछ अलग ही कहानी कह रहा है। पढ़ाई पूरी करने के बाद भी बहुत सारे लोग बेरोजगार हैं। और यह सिर्फ आपकी, मेरी या किसी एक की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे देश की एक ज्वलंत समस्या बन चुकी है।


बेरोजगारी क्या है?

बेरोजगारी का मतलब सिर्फ “बिना काम के बैठा इंसान” नहीं है। इसका असली दर्द वो लोग जानते हैं जिन्होंने इंटरव्यू दर इंटरव्यू दिए हैं, रिज्यूमे भेजे हैं, और हर जगह से बस एक ही जवाब आया – "आपका चयन नहीं हुआ।"

जब कोई इंसान काम करना चाहता है, काम के लिए तैयार भी है, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिलती — वहीं असली बेरोजगारी होती है।

भारत में बेरोजगारी की सच्चाई , सच्चाई थोड़ी कड़वी है। भारत जैसे युवा देश में करोड़ों लोग आज बेरोजगार हैं। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर करीब 8% है और गांवों में करीब 6%। लेकिन अगर आप किसी युवा से बात करें तो यह संख्या कहीं ज़्यादा लगती है।

हर साल लाखों छात्र ग्रेजुएट हो रहे हैं, लेकिन उतनी नौकरियां नहीं बन रही हैं। पढ़ाई पूरी करके घर बैठना, रिश्तेदारों के ताने सुनना, और हर दिन हिम्मत खोना – ये एक आम कहानी बन चुकी है।

बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है? अब ये सवाल आता है – जब देश तरक्की कर रहा है, तो नौकरियां क्यों नहीं हैं?

आइए, कुछ बड़ी वजहें जानते हैं:

1. शिक्षा तो है, लेकिन रोजगार के लायक नहीं

हमारा सिस्टम हमें किताबें रटवाता है, मार्क्स लाने की होड़ में लगाता है, लेकिन काम करने की असली स्किल नहीं सिखाता।


2. जनसंख्या ज़्यादा, मौके कम

हर साल भारत की जनसंख्या बढ़ रही है, लेकिन उसके मुकाबले नौकरियां नहीं बढ़ रही।


3. तकनीक ने छीनी नौकरियां

जैसे-जैसे मशीनें और कंप्यूटर बढ़े हैं, इंसानों की ज़रूरत कम होती जा रही है। एक मशीन 10 लोगों का काम कर देती है।


4. सरकारी नौकरियों की कमी

सरकारी नौकरियों के लिए फॉर्म तो लाखों भरते हैं, लेकिन सीटें सिर्फ कुछ सौ ही होती हैं।

बेरोजगारी का असर क्या होता है?

बेरोजगारी सिर्फ जेब खाली नहीं करती, हौसले तोड़ती है, आत्मविश्वास खत्म करती है, और कई बार तो रिश्ते भी बिगाड़ देती है। युवा डिप्रेशन में चले जाते हैं घरवाले ताने मारने लगते हैं समाज देख कर हँसता है कई बार लोग गलत रास्तों पर भी चल पड़ते हैं और सबसे बुरा ये होता है कि मेहनती लोग भी खुद को नाकाम समझने लगते हैं।

सरकार क्या कर रही है? सरकार ने बेरोजगारी से निपटने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे:

👉 प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)

जिसमें युवाओं को काम सीखने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है।

👉 स्टार्टअप इंडिया

सरकार नए बिजनेस शुरू करने वालों को मदद देती है।

👉 मनरेगा

गांव में रहने वालों को 100 दिन का रोजगार देने की योजना।

👉 PMEGP (प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम)

जिसमें खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन मिल सकता है। लेकिन सच ये भी है कि इन योजनाओं की पहुँच हर ज़रूरतमंद तक नहीं है। जानकारी की कमी और प्रक्रियाएं इतनी जटिल होती हैं कि आम आदमी के लिए फायदा उठाना मुश्किल हो जाता है।

तो क्या कोई रास्ता है? हाँ, रास्ता है। और वो हमारे अंदर से शुरू होता है।

✔️ स्किल्स पर ध्यान दो

सिर्फ डिग्री काफी नहीं, आज के समय में कंप्यूटर, डिज़ाइनिंग, मार्केटिंग, कम्युनिकेशन जैसी स्किल्स की ज़रूरत है।

✔️ फ्रीलांसिंग को अपनाओ

अब नौकरी सिर्फ ऑफिस में नहीं होती। इंटरनेट ने दुनिया खोल दी है। अगर आपके पास कोई हुनर है, तो ऑनलाइन काम मिल सकता है – जैसे content writing, graphic designing, digital marketing आदि।

✔️ छोटा बिजनेस शुरू करो

ज़रूरी नहीं कि हर कोई नौकरी करे। अगर आपके पास कोई आइडिया है, तो छोटा व्यापार भी शुरू किया जा सकता है। सरकार भी ऐसे लोगों को लोन देती है।

✔️ खुद पर भरोसा रखो

यह सबसे ज़रूरी बात है। चाहे रिजल्ट कुछ भी आए, कोशिश करते रहना और खुद पर विश्वास बनाए रखना ज़रूरी है।

एक आखिरी बात…

अगर आप इस वक्त बेरोजगार हैं, तो घबराइए मत। आप अकेले नहीं हैं। लाखों लोग इस दौर से गुजर रहे हैं। लेकिन फर्क वही लोग लाते हैं जो हार नहीं मानते।

हो सकता है आज नहीं, लेकिन अगर आप सीखते रहेंगे और चलते रहेंगे, तो कल ज़रूर आपका होगा।



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